भूख से मारों........को कुछ नहीं चाहिऐ !
न मजहब और न ही मजहबों का बैर चाहिऐ !!
न मजहब और न ही मजहबों का बैर चाहिऐ !!
दे सके उन्हे कोई दो वक्त का निवाला..!
वो निवाला लिऐ हाथ सा खुदा चाहिऐ...!!
भूख के बास्ते किसी के सामने झुकता है सर उनका इबादत से भी ज्यादा !
आज हो गया सो हो गया पर कल क्या होगा.........
हर पल उस कल का डर सताऐ रहता है उन्हे उस भूख से भी ज्यादा !!
मैं चाहूँ तो दो शब्दों में लिख दूँ इँसानों का इँसानों द्वारा इँसानी-ऐ-सितम !
बस यूँहीं आप भी देखते रहो थोड़ा मैं भी देखता हूँ जिंदगी ये दर्द-ऐ-सितम !!
मेरी जिंदगी के भी कुछ दर्द-ऐ-सितम अभी बाकी हैं इँसानों के इँसानी-ऐ-सितम अभी बाकी है !
पर डर है वो खुदा रूठ ना जाऐ सबसे कह दूँगा छोड़ दो इँसानों को सारी की सारी गलती हुई है बस मुझसे !!
.. कुमार शशि.....
#_तन्हा_दिल...✍Meri Qalam Mere Jazbaat♡
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