Top Collection of Dr.Kumar Vishwas Part 3 + {Latest} Top Dr. Kumar Vishwas Famous Shayari,Poetry & Poems in Hindi
और नई शायरी पढ़ें अपनी हिन्दी एवं उर्दू भाषा में हमारे इस ब्लॉगर पर :-The spirit of ghazals-लफ़्ज़ों का खेल
Kumar Vishwas Famous Shayari,Poetry & Poems in Hindi Part – 3 (कुमार विशवास की फेमस शायरी – तीसरा भाग )

बात ऊँची थी मगर बात जरा कम आंकी
उसने जज्बात की औकात जरा कम आंकी
वो फरिश्ता कह कर मुझे जलील करता रहा
मै इंसान हूँ, मेरी जात जरा कम आंकी
उसने जज्बात की औकात जरा कम आंकी
वो फरिश्ता कह कर मुझे जलील करता रहा
मै इंसान हूँ, मेरी जात जरा कम आंकी
पनाहों में जो आया हो, तो उस पर वार क्या करना
जो दिल हारा हुआ हो उस पे फिर अधिकार क्या करना
मुहब्बत का मजा तो डूबने की कशमकश में है
हो ग़र मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना।
जो दिल हारा हुआ हो उस पे फिर अधिकार क्या करना
मुहब्बत का मजा तो डूबने की कशमकश में है
हो ग़र मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना।
ये दिल बर्बाद करके सो में क्यों आबाद रहते हो
कोई कल कह रहा था तुम अल्लाहाबाद रहते हो
ये कैसी शोहरतें मुझको अता कर दी मेरे मौला
मैं सभ कुछ भूल जाता हूँ मगर तुम याद रहते हो
कोई कल कह रहा था तुम अल्लाहाबाद रहते हो
ये कैसी शोहरतें मुझको अता कर दी मेरे मौला
मैं सभ कुछ भूल जाता हूँ मगर तुम याद रहते हो
सदा तो धूप के हाथों में ही परचम नहीं होता
खुशी के घर में भी बोलों कभी क्या गम नहीं होता
फ़क़त इक आदमी के वास्तें जग छोड़ने वालो
फ़क़त उस आदमी से ये ज़माना कम नहीं होता।
खुशी के घर में भी बोलों कभी क्या गम नहीं होता
फ़क़त इक आदमी के वास्तें जग छोड़ने वालो
फ़क़त उस आदमी से ये ज़माना कम नहीं होता।
एक दो दिन में वो इकरार कहा आएगा
हर सुबह एक ही अखबार कहा आएगा
आज बंधा है जो इन् बातों में तो बहाल जायेंगे
रोज इन बाहों का त्यौहार कहा आएगा
हर सुबह एक ही अखबार कहा आएगा
आज बंधा है जो इन् बातों में तो बहाल जायेंगे
रोज इन बाहों का त्यौहार कहा आएगा
हमारे शेर सुन कर भी जो खामोश इतना है
खुदा जाने गुरूर-ए-हुस्न में मदहोश कितना है
किसी प्याले से पुछा है सुराही मैं सबब में का
जो खुद बेहोश हो वो क्या बताये के होश कितना है
खुदा जाने गुरूर-ए-हुस्न में मदहोश कितना है
किसी प्याले से पुछा है सुराही मैं सबब में का
जो खुद बेहोश हो वो क्या बताये के होश कितना है
स्वंय से दूर हो तुम भी स्वंय से दूर है हम भी
बहुत मशहूर हो तुम भी बहुत मशहूर है हम भी
बड़े मगरूर हो तुम भी बड़े मगरूर है हम भी
अतः मजबूर हो तुम भी अतः मजबूर है हम भी
बहुत मशहूर हो तुम भी बहुत मशहूर है हम भी
बड़े मगरूर हो तुम भी बड़े मगरूर है हम भी
अतः मजबूर हो तुम भी अतः मजबूर है हम भी
जिस्म का आखिरी मेहमान बना बैठा हूँ
एक उम्मीद का उन्वान बना बैठा हूँ
वो कहाँ है ये हवाओं को भी मालूम है मगर
एक बस में हूँ जो अनजान बना बैठा हूँ
एक उम्मीद का उन्वान बना बैठा हूँ
वो कहाँ है ये हवाओं को भी मालूम है मगर
एक बस में हूँ जो अनजान बना बैठा हूँ
कितनी दुनिया है मुझे ज़िन्दगी देने वाली
और एक ख्वाब है तेरा की जो मर जाता है
खुद को तरतीब से जोड़ूँ तो कहा से जोड़ूँ
मेरी मिट्टी में जो तू है की बिखर जाता है
और एक ख्वाब है तेरा की जो मर जाता है
खुद को तरतीब से जोड़ूँ तो कहा से जोड़ूँ
मेरी मिट्टी में जो तू है की बिखर जाता है
नज़र में शोखिया लब पर मुहब्बत का तराना है
मेरी उम्मीद की जद़ में अभी सारा जमाना है
कई जीते है दिल के देश पर मालूम है मुझकों
सिकन्दर हूं मुझे इक रोज खाली हाथ जाना है।
मेरी उम्मीद की जद़ में अभी सारा जमाना है
कई जीते है दिल के देश पर मालूम है मुझकों
सिकन्दर हूं मुझे इक रोज खाली हाथ जाना है।
ना पाने की खुशी है कुछ,ना खोने का ही कुछ गम है…
ये दौलत और शौहरत सिर्फ कुछ जख्मों का मरहम है…
अजब सी कशमकश है रोज जीने ,रोज मरने में…
मुक्कमल जिंदगी तो है,मगर पूरी से कुछ कम है…
ये दौलत और शौहरत सिर्फ कुछ जख्मों का मरहम है…
अजब सी कशमकश है रोज जीने ,रोज मरने में…
मुक्कमल जिंदगी तो है,मगर पूरी से कुछ कम है…
गिरेबान चेक करना क्या है सीना और मुश्किल है,
हर एक पल मुस्कुराकर अश्क पीना और मुश्किल है,
हमारी बदनसीबी ने हमें बस इतना सिखाया है,
किसी के इश्क़ में मरने से जीना और मुश्किल है.
हर एक पल मुस्कुराकर अश्क पीना और मुश्किल है,
हमारी बदनसीबी ने हमें बस इतना सिखाया है,
किसी के इश्क़ में मरने से जीना और मुश्किल है.
मेरा अपना तजुर्बा है तुम्हे बतला रहा हूँ मैं
कोई लब छू गया था तब के अब तक गा रहा हु मैं
बिछुड़ के तुम से अब कैसे जिया जाए बिना तड़पे
जो में खुद हे नहीं समझा वही समझा रहा हु मैं..
कोई लब छू गया था तब के अब तक गा रहा हु मैं
बिछुड़ के तुम से अब कैसे जिया जाए बिना तड़पे
जो में खुद हे नहीं समझा वही समझा रहा हु मैं..
उम्मीदों का फटा पैरहन,
रोज़-रोज़ सिलना पड़ता है,
तुम से मिलने की कोशिश में,
किस-किस से मिलना पड़ता है
रोज़-रोज़ सिलना पड़ता है,
तुम से मिलने की कोशिश में,
किस-किस से मिलना पड़ता है
मेरे जीने में मरने में, तुम्हारा नाम आएगा
मैं सांस रोक लू फिर भी, यही इलज़ाम आएगा
हर एक धड़कन में जब तुम हो, तो फिर अपराध क्या मेरा
अगर राधा पुकारेंगी, तो घनश्याम आएगा
मैं सांस रोक लू फिर भी, यही इलज़ाम आएगा
हर एक धड़कन में जब तुम हो, तो फिर अपराध क्या मेरा
अगर राधा पुकारेंगी, तो घनश्याम आएगा
कोई पत्थर की मूरत है, किसी पत्थर में मूरत है
लो हमने देख ली दुनिया, जो इतनी खुबसूरत है
जमाना अपनी समझे पर, मुझे अपनी खबर यह है
तुझे मेरी जरुरत है, मुझे तेरी जरुरत है
लो हमने देख ली दुनिया, जो इतनी खुबसूरत है
जमाना अपनी समझे पर, मुझे अपनी खबर यह है
तुझे मेरी जरुरत है, मुझे तेरी जरुरत है
फ़लक पे भोर की दुल्हन यूँ सज के आई है,
ये दिन उगा है या सूरज के घर सगाई है,
अभी भी आते हैं आँसू मेरी कहानी में,
कलम में शुक्र-ए- खुदा है कि ‘रौशनाई’ है
ये दिन उगा है या सूरज के घर सगाई है,
अभी भी आते हैं आँसू मेरी कहानी में,
कलम में शुक्र-ए- खुदा है कि ‘रौशनाई’ है
कोई मंज़िल नहीं जचती सफर अच्छा नहीं लगता
अगर घर लौट भी आऊं तो घर अच्छा नहीं लगता
करू कुछ भी में अब दुनिया को सब अच्छा ही लगता है
मुझे कुछ भी तुम्हारे बिन मगर अच्छा नहीं लगता
अगर घर लौट भी आऊं तो घर अच्छा नहीं लगता
करू कुछ भी में अब दुनिया को सब अच्छा ही लगता है
मुझे कुछ भी तुम्हारे बिन मगर अच्छा नहीं लगता
कोई कब तक महज सोचे, कोई कब तक महज गाये
इलाही क्या ये मुमकिन है के कुछ ऐसा भी हो जाये.
मेरा महताब उसकी रात के आगोश में पिघले.
में उसकी नींद में जागूँ वो मुझमे घुल के सो जाये.
इलाही क्या ये मुमकिन है के कुछ ऐसा भी हो जाये.
मेरा महताब उसकी रात के आगोश में पिघले.
में उसकी नींद में जागूँ वो मुझमे घुल के सो जाये.
तुम्ही पे मरता है ये दिल अदावत क्यों नहीं करता
कई जन्मो से बंदी है बगावत क्यों नहीं करता..
कभी तुमसे थी जो वो ही शिकायत हे ज़माने से
मेरी तारीफ़ करता है मोहब्बत क्यों नहीं करता..
कई जन्मो से बंदी है बगावत क्यों नहीं करता..
कभी तुमसे थी जो वो ही शिकायत हे ज़माने से
मेरी तारीफ़ करता है मोहब्बत क्यों नहीं करता..
वो जो खुद में से कम निकलतें हैं
उनके ज़हनों में बम निकलतें हैं
आप में कौन-कौन रहता है
हम में तो सिर्फ हम निकलते हैं।
उनके ज़हनों में बम निकलतें हैं
आप में कौन-कौन रहता है
हम में तो सिर्फ हम निकलते हैं।
हमें बेहोश कर साकी , पिला भी कुछ नहीं हमको
कर्म भी कुछ नहीं हमको , सिला भी कुछ नहीं हमको
मोहब्बत ने दे दिआ है सब , मोहब्बत ने ले लिया है सब
मिला कुछ भी नहीं हमको , गिला भी कुछ नहीं हमको !!
कर्म भी कुछ नहीं हमको , सिला भी कुछ नहीं हमको
मोहब्बत ने दे दिआ है सब , मोहब्बत ने ले लिया है सब
मिला कुछ भी नहीं हमको , गिला भी कुछ नहीं हमको !!
ये दिल बर्बाद करके, इसमें क्यों आबाद रहते हो
कोई कल कह रहा था तुम अल्लाहाबाद रहते हो.
ये कैसे शोहरते मुझे अता कर दी मेरे मौला
में सब कुछ भूल जाता हु मगर तुम याद रहते हो.
कोई कल कह रहा था तुम अल्लाहाबाद रहते हो.
ये कैसे शोहरते मुझे अता कर दी मेरे मौला
में सब कुछ भूल जाता हु मगर तुम याद रहते हो.
पुकारे आँख में चढ़कर तो खू को खू समझता है
अँधेरा किसको कहते है ये बस जुगनू समझता है
हमें तो चाँद तारो में तेरा ही रूप दिखता है
मोहब्बत में नुमाइश को अदाए तू समझता है
अँधेरा किसको कहते है ये बस जुगनू समझता है
हमें तो चाँद तारो में तेरा ही रूप दिखता है
मोहब्बत में नुमाइश को अदाए तू समझता है
खुद से भी न मिल सको इतने पास मत होना
इश्क़ तो करना मगर देवदास मत होना
देना , चाहना , मांगना या खो देना
ये सारे खेल है इनमें उदास मत होना !!
इश्क़ तो करना मगर देवदास मत होना
देना , चाहना , मांगना या खो देना
ये सारे खेल है इनमें उदास मत होना !!
जब आता है जीवन में खयालातों का हंगामा
हास्य बातो या जज़्बातो मुलाकातों का हंगामा
जवानी के क़यामत दौर में ये सोचते है सब
ये हंगामे की राते है या है रातो का हंगामा
हास्य बातो या जज़्बातो मुलाकातों का हंगामा
जवानी के क़यामत दौर में ये सोचते है सब
ये हंगामे की राते है या है रातो का हंगामा
मिले हर जख्म को मुस्कान को सीना नहीं आया
अमरता चाहते थे पर ज़हर पीना नहीं आया
तुम्हारी और मेरी दस्ता में फर्क इतना है
मुझे मरना नहीं आया तुम्हे जीना नहीं आया
अमरता चाहते थे पर ज़हर पीना नहीं आया
तुम्हारी और मेरी दस्ता में फर्क इतना है
मुझे मरना नहीं आया तुम्हे जीना नहीं आया
वो जिसका तीरे छुपके से जिगर के पार होता है
वो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता है
किसी से अपने दिल की बात तू कहना ना भूले से
यहां खत भी जरा सी देर में अखबार होता है।
वो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता है
किसी से अपने दिल की बात तू कहना ना भूले से
यहां खत भी जरा सी देर में अखबार होता है।
कोई खामोश है इतना बहाने भूल आया हु
किसी की एक तरन्नुम में तराने भूल आया हु
मेरी अब राह मत ताकना कभी ऐ आसमा वालो
में एक चिड़िआ की आँखों में उड़ाने भूल आया हु.
किसी की एक तरन्नुम में तराने भूल आया हु
मेरी अब राह मत ताकना कभी ऐ आसमा वालो
में एक चिड़िआ की आँखों में उड़ाने भूल आया हु.
इस उड़न पर अब शर्मिन्दा में ही हु और तू भी है,
आसमान से गिरा परिंदा में भी हु और तू भी है,
छूट गयी रस्ते में जीने मरने की सारी कस्मे,
अपने अपने हाल में जिन्दा में भी हु और तू भी है,
खुशहाली में एक बदहाली, में भी हूँ और तू भी है.
हर निगाह पर एक सवाली, में भी हूँ और तू भी है.
दुनिया कितना अर्थ लगाए, हम दोनों को मालूम है.
भरे-भरे पर खाली-खली, में भी हूँ और तू भी है.
आसमान से गिरा परिंदा में भी हु और तू भी है,
छूट गयी रस्ते में जीने मरने की सारी कस्मे,
अपने अपने हाल में जिन्दा में भी हु और तू भी है,
खुशहाली में एक बदहाली, में भी हूँ और तू भी है.
हर निगाह पर एक सवाली, में भी हूँ और तू भी है.
दुनिया कितना अर्थ लगाए, हम दोनों को मालूम है.
भरे-भरे पर खाली-खली, में भी हूँ और तू भी है.
सब अपने दिल के राजा है, सबकी कोई रानी है,
भले प्रकाशित हो न हो पर सबकी कोई कहानी है.
बहुत सरल है किसने कितना दर्द सहा,
जिसकी जितनी आँख हँसे है, उतनी पीर पुराणी है.
भले प्रकाशित हो न हो पर सबकी कोई कहानी है.
बहुत सरल है किसने कितना दर्द सहा,
जिसकी जितनी आँख हँसे है, उतनी पीर पुराणी है.
मिल गया था जो मुक़द्दर वो खो के निकला हूँ.
में एक लम्हा हु हर बार रो के निकला हूँ.
राह-ए-दुनिया में मुझे कोई भी दुश्वारी नहीं.
में तेरी ज़ुल्फ़ के पेंचो से हो के निकला हूँ .
में एक लम्हा हु हर बार रो के निकला हूँ.
राह-ए-दुनिया में मुझे कोई भी दुश्वारी नहीं.
में तेरी ज़ुल्फ़ के पेंचो से हो के निकला हूँ .
मेहफिल-महफ़िल मुस्काना तो पड़ता है,
खुद ही खुद को समझाना तो पड़ता है
उनकी आँखों से होकर दिल जाना.
रस्ते में ये मैखाना तो पड़ता है..
खुद ही खुद को समझाना तो पड़ता है
उनकी आँखों से होकर दिल जाना.
रस्ते में ये मैखाना तो पड़ता है..
हमने दुःख के महासिंधु से सुख का मोती बीना है
और उदासी के पंजों से हँसने का सुख छीना है
मान और सम्मान हमें ये याद दिलाते है पल पल
भीतर भीतर मरना है पर बाहर बाहर जीना है।
और उदासी के पंजों से हँसने का सुख छीना है
मान और सम्मान हमें ये याद दिलाते है पल पल
भीतर भीतर मरना है पर बाहर बाहर जीना है।
मै तेरा ख्वाब जी लून पर लाचारी है,
मेरा गुरूर मेरी ख्वाहिसों पे भरी है…!
सुबह के सुर्ख उजालों से तेरी मांग से,
मेरे सामने तो ये श्याह रात सारी है….!!
मेरा गुरूर मेरी ख्वाहिसों पे भरी है…!
सुबह के सुर्ख उजालों से तेरी मांग से,
मेरे सामने तो ये श्याह रात सारी है….!!
एक दो रोज में हर आँखें उब्ब जाती है,
मुझको मंजिल नहीं रास्ता समझने लगते है…!
जिनको हासिल नहीं वो जान देते रहते है,
जिनको मिल जॉन वो सस्ता समझने लगते है…!!
मुझको मंजिल नहीं रास्ता समझने लगते है…!
जिनको हासिल नहीं वो जान देते रहते है,
जिनको मिल जॉन वो सस्ता समझने लगते है…!!
आँखें की छत पे टहलते रहे काले साये,
कोई पहले में उजाले भरने नहीं आया…!
कितनी दिवाली गयी, कितने दशहरे बीते,
इन मुंडेरों पर कोई दीप न धरने आया…!!
कोई पहले में उजाले भरने नहीं आया…!
कितनी दिवाली गयी, कितने दशहरे बीते,
इन मुंडेरों पर कोई दीप न धरने आया…!!
गाँव-गाँव गाता फिरता हूँ, खुद में मगर बिन गाय हूँ,
तुमने बाँध लिया होता तो खुद में सिमट गया होता मैं,
तुमने छोड़ दिया है तो कितनी दूर निकल आया हूँ मैं…!!
कट न पायी किसी से चाल मेरी, लोग देने लगे मिसाल मेरी…!
मेरे जुम्लूं से काम लेते हैं वो, बंद है जिनसे बोलचाल मेरी…!!
तुमने बाँध लिया होता तो खुद में सिमट गया होता मैं,
तुमने छोड़ दिया है तो कितनी दूर निकल आया हूँ मैं…!!
कट न पायी किसी से चाल मेरी, लोग देने लगे मिसाल मेरी…!
मेरे जुम्लूं से काम लेते हैं वो, बंद है जिनसे बोलचाल मेरी…!!
हर एक नदिया के होंठों पे समंदर का तराना है,
यहाँ फरहाद के आगे सदा कोई बहाना है !
वही बातें पुरानी थीं, वही किस्सा पुराना है,
तुम्हारे और मेरे बिच में फिर से जमाना है…!!
यहाँ फरहाद के आगे सदा कोई बहाना है !
वही बातें पुरानी थीं, वही किस्सा पुराना है,
तुम्हारे और मेरे बिच में फिर से जमाना है…!!
कलम को खून में खुद के डुबोता हूँ तो हंगामा
गिरेबां अपना आंसू में भिगोता हूँ तो हंगामा
नही मुझ पर भी जो खुद की खबर वो है जमाने पर
मैं हंसता हूँ तो हंगामा, मैं रोता हूँ तो हंगामा.
गिरेबां अपना आंसू में भिगोता हूँ तो हंगामा
नही मुझ पर भी जो खुद की खबर वो है जमाने पर
मैं हंसता हूँ तो हंगामा, मैं रोता हूँ तो हंगामा.
No comments:
Post a Comment