Collection of Kumar Vishwas Part 2 + {Latest} Top Dr. Kumar Vishwas Famous Shayari,Poetry & Poems in Hindi
और नई शायरी पढ़ें अपनी हिन्दी एवं उर्दू भाषा में हमारे इस ब्लॉगर पर :-The spirit of ghazals-लफ़्ज़ों का खेल
Best Shayari of Kumar Vishwas Part – 2 (कुमार विश्वास की प्रसिद्ध शायरी पार्ट – 2
मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है
कभी कबीरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है
यहाँ सब लोग कहते है, मेरी आँखों में पानी है
जो तुम समझो तो मोती है, जो ना समझो तो पानी है
कभी कबीरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है
यहाँ सब लोग कहते है, मेरी आँखों में पानी है
जो तुम समझो तो मोती है, जो ना समझो तो पानी है
समंदर पीर का अन्दर है, लेकिन रो नहीं सकता
यह आंसू प्यार का मोती है, इसको खो नहीं सकता
मेरी चाहत को दुल्हन तू, बना लेना मगर सुन ले
जो मेरा हो नहीं पाया, वो तेरा हो नहीं सकता
यह आंसू प्यार का मोती है, इसको खो नहीं सकता
मेरी चाहत को दुल्हन तू, बना लेना मगर सुन ले
जो मेरा हो नहीं पाया, वो तेरा हो नहीं सकता
यह चादर सुख की मोल क्यू, सदा छोटी बनाता है
सीरा कोई भी थामो, दूसरा खुद छुट जाता है
तुम्हारे साथ था तो मैं, जमाने भर में रुसवा था
मगर अब तुम नहीं हो तो, ज़माना साथ गाता है
सीरा कोई भी थामो, दूसरा खुद छुट जाता है
तुम्हारे साथ था तो मैं, जमाने भर में रुसवा था
मगर अब तुम नहीं हो तो, ज़माना साथ गाता है
बस्ती – बस्ती घोर उदासी, पर्वत – पर्वत सुनापन
मन हीरा बेमोल लुट गया, घिस -घिस रीता मन चंदन
इस धरती से उस अम्बर तक, दो ही चीज़ गजब की है
एक तो तेरा भोलापन है, एक मेरा दीवानापन
मन हीरा बेमोल लुट गया, घिस -घिस रीता मन चंदन
इस धरती से उस अम्बर तक, दो ही चीज़ गजब की है
एक तो तेरा भोलापन है, एक मेरा दीवानापन
इस उड़ान पर अब शर्मिंदा, में भी हूँ और तू भी है
आसमान से गिरा परिंदा, में भी हूँ और तू भी है
छुट गयी रस्ते में, जीने मरने की सारी कसमे
अपने – अपने हाल में जिंदा, में भी हूँ और तू भी है
ये वो ही इरादें हैं, ये वो ही तबस्सुम है
हर एक मोहल्लत में, बस दर्द का आलम है
आसमान से गिरा परिंदा, में भी हूँ और तू भी है
छुट गयी रस्ते में, जीने मरने की सारी कसमे
अपने – अपने हाल में जिंदा, में भी हूँ और तू भी है
ये वो ही इरादें हैं, ये वो ही तबस्सुम है
हर एक मोहल्लत में, बस दर्द का आलम है
इतनी उदास बातें, इतना उदास लहजा ,
लगता है की तुम को भी, हम सा ही कोई गम है
लगता है की तुम को भी, हम सा ही कोई गम है
स्वयं से दूर हो तुम भी, स्वयं से दूर है हम भी
बहुत मशहुर हो तुम भी, बहुत मशहुर है हम भी
बड़े मगरूर हो तुम भी, बड़े मगरूर है हम भी
अत : मजबुर हो तुम भी, अत : मजबुर है हम भी
बहुत मशहुर हो तुम भी, बहुत मशहुर है हम भी
बड़े मगरूर हो तुम भी, बड़े मगरूर है हम भी
अत : मजबुर हो तुम भी, अत : मजबुर है हम भी
कहीं पर जग लिए तुम बिन, कहीं पर सो लिए तुम बिन
भरी महफिल में भी अक्सर, अकेले हो लिए तुम बिन
ये पिछले चंद वर्षों की कमाई साथ है अपने
कभी तो हंस लिए तुम बिन, कभी तो रो लिए तुम बिन
भरी महफिल में भी अक्सर, अकेले हो लिए तुम बिन
ये पिछले चंद वर्षों की कमाई साथ है अपने
कभी तो हंस लिए तुम बिन, कभी तो रो लिए तुम बिन
कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है
मगर धरती की बैचेनी तो, बस बादल समझता है
मैं तुमसे दूर कितना हु , तू मुझसे दूर कितनी है
ये तेरा दिल समझता है , या मेरा दिल समझता है
मगर धरती की बैचेनी तो, बस बादल समझता है
मैं तुमसे दूर कितना हु , तू मुझसे दूर कितनी है
ये तेरा दिल समझता है , या मेरा दिल समझता है
गिरेबां चाक करना क्या है, सीना और मुश्किल है
हर एक पल मुस्कुरा के, अश्क पीना और मुश्किल है
हमारी बदनसीबी ने, हमें इतना सीखाया है
किसी के इश्क में मरने से, जीना और मुश्किल है
हर एक पल मुस्कुरा के, अश्क पीना और मुश्किल है
हमारी बदनसीबी ने, हमें इतना सीखाया है
किसी के इश्क में मरने से, जीना और मुश्किल है
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