Top Collection of Dr.Kumar Vishwas Part 4 + {Latest} Top Dr. Kumar Vishwas Famous Shayari,Poetry & Poems in Hindi
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Famous Shayari of Dr. Kumar Vishwas – Part 4 (कुमार विशवास की फेमस शायरी – 4 )
एक पहाडे सा मेरी उँगलियों पे ठहरा है
तेरी चुप्पी का सबब क्या है? इसे हल कर दे
तेरी चुप्पी का सबब क्या है? इसे हल कर दे
ये फ़क़त लफ्ज़ हैं तो रोक दे रस्ता इन का
और अगर सच है तो फिर बात मुकम्मल कर दे
और अगर सच है तो फिर बात मुकम्मल कर दे
कोई कब तक महज सोचे,कोई कब तक महज गाए
ईलाही क्या ये मुमकिन है कि कुछ ऐसा भी हो जाऐ
ईलाही क्या ये मुमकिन है कि कुछ ऐसा भी हो जाऐ
मेरा मेहताब उसकी रात के आगोश मे पिघले
मैँ उसकी नीँद मेँ जागूँ वो मुझमे घुल के सो जाऐ
मैँ उसकी नीँद मेँ जागूँ वो मुझमे घुल के सो जाऐ
तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है, समझता हूँ
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है, समझता हूँ
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है, समझता हूँ
तुम्हें मैं भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नहीं लेकिन
तुम्हीं को भूलना सबसे जरूरी है, समझता हूँ
तुम्हीं को भूलना सबसे जरूरी है, समझता हूँ
तुझ को गुरुर ए हुस्न है मुझ को सुरूर ए फ़न
दोनों को खुदपसंदगी की लत बुरी भी है
दोनों को खुदपसंदगी की लत बुरी भी है
तुझ में छुपा के खुद को मैं रख दूँ मग़र मुझे
कुछ रख के भूल जाने की आदत बुरी भी है
कुछ रख के भूल जाने की आदत बुरी भी है
तुम्हारा ख़्वाब जैसे ग़म को अपनाने से डरता है
हमारी आखँ का आँसूं , ख़ुशी पाने से डरता है
हमारी आखँ का आँसूं , ख़ुशी पाने से डरता है
अज़ब है लज़्ज़ते ग़म भी, जो मेरा दिल अभी कल तक़
तेरे जाने से डरता था वो अब आने से डरता है
तेरे जाने से डरता था वो अब आने से डरता है
हर इक खोने में हर इक पाने में तेरी याद आती है
नमक आँखों में घुल जाने में तेरी याद आती है
नमक आँखों में घुल जाने में तेरी याद आती है
तेरी अमृत भरी लहरों को क्या मालूम गंगा माँ
समंदर पार वीराने में तेरी याद आती है
समंदर पार वीराने में तेरी याद आती है
हमें मालूम है दो दिल जुदाई सह नहीं सकते
मगर रस्मे-वफ़ा ये है कि ये भी कह नहीं सकते
मगर रस्मे-वफ़ा ये है कि ये भी कह नहीं सकते
जरा कुछ देर तुम उन साहिलों कि चीख सुन भर लो
जो लहरों में तो डूबे हैं, मगर संग बह नहीं सकते
जो लहरों में तो डूबे हैं, मगर संग बह नहीं सकते
वो जो खुद में से कम निकलतें हैं
उनके ज़हनों में बम निकलतें हैं
उनके ज़हनों में बम निकलतें हैं
आप में कौन-कौन रहता है ?
हम में तो सिर्फ हम निकलते हैं
हम में तो सिर्फ हम निकलते हैं
अजब है कायदा दुनिया ए इश्क का मौला
फूल मुरझाये तब उस पर निखार आता है
फूल मुरझाये तब उस पर निखार आता है
अजीब बात है तबियत ख़राब है जब से
मुझ को तुम पे कुछ ज्यादा प्यार आता है
मुझ को तुम पे कुछ ज्यादा प्यार आता है
घर से निकला हूँ तो निकला है घर भी साथ मेरे
देखना ये है कि मंज़िल पे कौन पहुँचेगा ?
देखना ये है कि मंज़िल पे कौन पहुँचेगा ?
मेरी कश्ती में भँवर बाँध के दुनिया ख़ुश है
दुनिया देखेगी कि साहिल पे कौन पहुँचेगा
दुनिया देखेगी कि साहिल पे कौन पहुँचेगा
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