Rahat Indori – Kisi ke baap ka hindustan thodi hai
(राहत इन्दौरी – किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़ी है )
और नई शायरी पढ़ें अपनी हिन्दी एवं उर्दू भाषा में हमारे इस ब्लॉगर पर :-The spirit of ghazals-लफ़्ज़ों का खेल 
अगर ख़िलाफ़ हैं होने दो जान थोड़ी है
अगर ख़िलाफ़ हैं होने दो जान थोड़ी है
ये सब धुआँ है कोई आसमान थोड़ी है
लगेगी आग तो आएँगे घर कई ज़द में
यहाँ पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है
मैं जानता हूँ के दुश्मन भी कम नहीं लेकिन
हमारी तरहा हथेली पे जान थोड़ी है
हमारे मुँह से जो निकले वही सदाक़त है
हमारे मुँह में तुम्हारी ज़ुबान थोड़ी है
जो आज साहिबे मसनद हैं कल नहीं होंगे
किराएदार हैं ज़ाती मकान थोड़ी है
सभी का ख़ून है शामिल यहाँ की मिट्टी में
किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़ी है
राहत इंदौरी
1950 - इंदौर,
लोकप्रिय शायर और फ़िल्म गीतकार


Kya baat hai! Bohat hi khoobsurat shayari likhi hai 💫 Har lafz dil ko choo gaya… sach mein lajawab!
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