​कतारें थककर भी खामोश हैं,नजारे बोल रहे हैं...✍ - The Spirit of Ghazals - लफ़्ज़ों का खेल | Urdu & Hindi Poetry, Shayari of Famous Poets
​कतारें थककर भी खामोश हैं,नजारे बोल रहे हैं...✍

​कतारें थककर भी खामोश हैं,नजारे बोल रहे हैं...✍

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कतारें थक कर भी खामोश हैं,नजारे बोल रहे हैं।
नदी बहकर भी चुप है मगर किनारे बोल रहे हैं।
ये कैसा जलजला आया  है दुनियाँ में इन दिनों,
झोंपडी मेरी खडी है और महल उनके  डोल रहे हैं।।
.... कुमार शशि..... 
#_तन्हा_दिल...✍Meri Qalam Mere taqat♡

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