कोई करिश्मा हो तुम ♡ या हो खुद कुदरत तुम♡.....✍ - The Spirit of Ghazals - लफ़्ज़ों का खेल | Urdu & Hindi Poetry, Shayari of Famous Poets
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कोई करिश्मा हो तुम ♡ या हो खुद कुदरत तुम♡.....✍

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मुस्कुराती हो जब तुम, तो फूल खिल उठते हैं...
हँसती हो जब तुम, तो गूँजती है कायनात खुशियों से....
बोलती हो तुम जब, तो पंछी चहकते हैं....
लेती हो साँस जब तुम, तो हवा चलती है....
दिखाती हो अदाएं जब तुम, तो मौसम करवट लेते हैं....
शर्माती हो जब तुम, तो धरती बसंत में पीली चादर ओढ़ लेती है....
खुशी से भर लेती हो आँखे जब तुम, तो बारिश होती है....
उठते हो अंगड़ाई लेकर जब तुम, तो सुबह पैर पसारती है....
झुकाती हो सोने के लिए पलकें जब तुम, तो रात हो जाती है...
प्यार दुलार करती हो जब तुम, तो बहार आ जाती है....
खिलखिलाती हो जब तुम, तो फूल खिल खिल कर मचलते हैं....
चलती हो मस्तानी चाल जब तुम, तो धरती घूमने लगती है....
लिखती हो कुछ भी जब तुम, तो किस्मत किसी की पलट जाती है....
ढंकती हो जब चेहरे को पल्लू से जब तुम, तो आसमान में बादल छा जाते हैं...
हिलाती हो लब अपने जब तुम, तो गुलाब की लाली निखर आती है...
कोई करिश्मा हो तुम, या हो खुद कुदरत तुम.....
हो कोई फरिश्ता तुम, या हो खुद खुदा तुम....
हो कोई जीव तुम, या हो खुद जीवन तुम....
हो कोई शख्स तुम, या हो खुद मेरा अक्स तुम....
हो कण कण में तुम, या है खुद कण कण तुम में...
... कुमार शशि®™..... 
#dedicated ♡My Love♡
#_तन्हा_दिल...✍Meri Qalam Mere Jazbaat♡
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