देर लगी आने में तुम को, शुक्र है, फिर भी आए तो - The Spirit of Ghazals - लफ़्ज़ों का खेल | Urdu & Hindi Poetry, Shayari of Famous Poets
देर लगी आने में तुम को, शुक्र है, फिर भी आए तो

देर लगी आने में तुम को, शुक्र है, फिर भी आए तो

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देर लगी आने में तुम को, शुक्र है, फिर भी आए तो

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देर लगी आने में तुम को, शुक्र है, फिर भी आए तो रोमानी ग़ज़ल के शायर, अनुवादक, संपादक अपनी ग़ज़ल " देर लगी आने में लेकिन ..." के लिए प्रसिद्ध




देर लगी आने में तुम को, शुक्र है, फिर भी आए तो रोमानी ग़ज़ल के शायर, अंदलीब शादानी और नई शायरी पढ़ें अपनी हिन्दी एवं उर्दू भाषा में हमारे इस ब्लॉगर पर :-The spirit of ghazals-लफ़्ज़ों का खेल
A painting by iqbal sarinh


देर लगी आने में तुम को, शुक्र है, फिर भी आए तो
आस ने दिल का साथ न छोड़ा, वैसे हम घबराए तो..

चाहत के बदले में हम तो, बेच दें अपनी मर्ज़ी तक,
कोई मिले तो, दिल का गाहक, कोई हमें अपनाए तो ...

क्यूँ ये मेहर-अंगेज़ तबस्सुम, मद्द-ए-नज़र जब कुछ भी नहीं,
हाए ! कोई अन्जान अगर, इस धोके में आ जाए तो ...

सुनी-सुनाई बात नहीं ये अपने ऊपर बीती है,
फूल निकलते हैं शो'लों से, चाहत आग लगाए तो ...

झूठ है सब, तारीख़, हमेशा अपने को दोहराती है,
अच्छा ! मेरा ख़्वाब-ए-जवानी, थोड़ा सा दोहराए तो ...

नादानी और मजबूरी में यारो कुछ तो फ़र्क़ करो
इक बे-बस इंसान करे क्या टूट के दिल आ जाए तो ...

अंदलीब शादानी (Andaleeb Shadani)


अंदलीब शादानी

अंदलीब शादानी

1904 - 1969ढाकाबंगलादेश
रोमानी ग़ज़ल के शायर, अनुवादक, संपादक अपनी ग़ज़ल " देर लगी आने में लेकिन ..." के लिए प्रसिद्ध

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