फिर मेरी याद आ रही होगी फिर वो दीपक बुझा रही होगी
Fir Meri Yaad Aa Rahi Hogi By Dr Kumar Vishwas
और नई शायरी पढ़ें अपनी हिन्दी एवं उर्दू भाषा में हमारे इस ब्लॉगर पर :-The spirit of ghazals-लफ़्ज़ों का खेल
फिर मेरी याद आ रही होगी
फिर वो दीपक बुझा रही होगी
फिर मेरे फेसबुक पे आ कर वो
अपना बैनर लगा रही होगी
अपने बेटे का चूम कर माथा
मुझको टीका लगा रही होगी
फिर उसी ने उसे छुआ होगा
फिर उसी से निभा रही होगी
जिस्म चादर सा बिछ गया होगा
रूह सलवट हटा रही होगी
फिर एक रात कट गयी होगी
फिर एक रात आ रही होगी
डॉ. कुमार विश्वास
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