चाँद तारों ने भी जब रख़्त-ए-सफ़र खोला है शम्स फ़र्रुख़ाबादी - The Spirit of Ghazals - लफ़्ज़ों का खेल | Urdu & Hindi Poetry, Shayari of Famous Poets
चाँद तारों ने भी जब रख़्त-ए-सफ़र खोला है शम्स फ़र्रुख़ाबादी

चाँद तारों ने भी जब रख़्त-ए-सफ़र खोला है शम्स फ़र्रुख़ाबादी

Share This

चाँद तारों ने भी जब रख़्त-ए-सफ़र खोला है 

और नई शायरी पढ़ें अपनी हिन्दी एवं उर्दू भाषा में हमारे इस ब्लॉगर पर :-The spirit of ghazals-लफ़्ज़ों का खेल      

 और नई शायरी पढ़ें अपनी हिन्दी एवं उर्दू भाषा में हमारे इस ब्लॉगर पर :-The spirit of ghazals-लफ़्ज़ों का खेल      चाँद तारों ने भी जब रख़्त-ए-सफ़र खोला है  हम ने हर सुब्ह इक उम्मीद पे दर खोला है    मैं भटकता रहा सड़कों पे तिरी बस्ती में  कब किसी ने मेरी ख़ातिर कोई घर खोला है



chaand taaron ne bhee jab rakht-e-safar khola  शम्स फ़र्रुख़ाबादी चाँद तारों ने भी जब रख़्त-ए-सफ़र खोला है हम ने हर सुब्ह इक उम्मीद पे दर खोला है

चाँद तारों ने भी जब रख़्त-ए-सफ़र खोला है
हम ने हर सुब्ह इक उम्मीद पे दर खोला है

मैं भटकता रहा सड़कों पे तिरी बस्ती में
कब किसी ने मेरी ख़ातिर कोई घर खोला है

हो गई और भी रंगीं तिरी यादों की बहार
खिलते फूलों ने मिरा ज़ख़्म-ए-जिगर खोला है

उन की पलकों से गिरे टूट के कुछ ताज-महल
नींद से चौंक के जब दीदा-ए-तर खोला है

यार मेरा तो मुक़द्दर है वो चादर जिस ने
पाँव खोले हैं कभी और कभी सर खोला है

रात भारी कटी शायद गए दिन लौट आए
'शम्स' ने परचम-ए-उम्मीद-ए-सहर खोला है


#शम्स फ़र्रुख़ाबादी

आपको यह शायरी संग्रह कैसा लगा हमें अवश्य बताएं, और जितना हो सके शेयर करे ताकि हमें प्रोत्साहन मिले ऐसी रचनाए लिखने का। आप अपने दोस्तों को भी शेयर करे सोशल मिडिया के माध्यम से नीचे दिए गए आइकॉन पर क्लिक करे धन्यवाद।

No comments:

Post a Comment

Pages