Top 20 Famous Ahmad Faraz Two Line Poetry,Shayari Collection (अहमद फ़राज़ ) - The Spirit of Ghazals - लफ़्ज़ों का खेल | Urdu & Hindi Poetry, Shayari of Famous Poets
Top 20 Famous Ahmad Faraz Two Line Poetry,Shayari Collection (अहमद फ़राज़ )

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Top 20 Famous Ahmad Faraz Two Line Collection




और नई शायरी पढ़ें अपनी हिन्दी एवं उर्दू भाषा में हमारे इस ब्लॉगर पर :-The spirit of ghazals-लफ़्ज़ों का खेल

 आईये दोस्तों आज इस आर्टिकल के माध्यम से पढ़ते हैं अहमद फ़राज़ द्वारा लिखी शायरी जो दिल को छू लेती हैं. शायरी के साथ साथ देखे शायरी पिक्चर भी जिसे आप अपने दोस्तों को भी शेयर करे सोशल मिडिया के माध्यम से

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Top 20 Famous Ahmad Faraz Two Line Poetry,Shayari Collection (अहमद फ़राज़ ) और नई शायरी पढ़ें अपनी हिन्दी एवं उर्दू भाषा में हमारे इस ब्लॉगर पर :-The spirit of ghazals-लफ़्ज़ों का खेल
अकेले तो हम पहले भी जी रहे थे,
क्यूँ तन्हा से हो गए हैं तेरे जाने के बाद..




बस यही आदत उसकी मुझे अच्छी लगती है,
उदास कर के मुझे भी वो खुश नहीं रहता...

एक पल जो तुझे भूलने का सोचता हूँ,
मेरी साँसें मेरी तकदीर से उलझ जाती हैं..

उस शख्स से बस इतना सा ताल्लुक़ है,
वो परेशां हो तो हमें नींद नहीं आती.

कौन देता है उम्र भर का सहारा,
लोग तो जनाज़े में भी कंधे बदलते रहते हैं..

किताबों से दलीलें दूं या खुद को सामने रख दूं,
वो मुझ से पूछ बैठी हैं मुहब्बत किसको कहते हैं..

माना कि तुम गुफ़्तगू के फन में माहिर हो,
वफ़ा के लफ्ज़ पे अटको तो हमें याद कर लेना.

मुझको मालूम नहीं हुस्न की तारीफ,
मेरी नज़रों में हसीन वो है जो तुझ जैसा हो.

फिर इतने मायूस क्यूँ हो उसकी बेवफाई पर,
तुम खुद ही तो कहते थे की वो सब से जुदा है..

उसे तेरी इबादतों पे यकीन है नहीं,
जिस की ख़ुशियां तू रब से रो रो के मांगता है..

नाकाम थीं मेरी सब कोशिशें उस को मनाने की,
पता नहीं कहाँ से सीखीं जालिम ने अदाएं रूठ जाने की.

हम अपनी रूह तेरे जिस्म में छोड़ आए,
तुझे गले से लगाना तो एक बहाना था..

कभी कभी तो रो पड़ती हैं यूँ ही आँखें,
उदास होने का कोई सबब नहीं होता..

जो कभी हर रोज़ मिला करते थे,
वो चेहरे तो अब ख़ाब ओ ख़याल हो गए

रूठ जाने की अदा हम को भी आती है,
काश होता कोई हम को भी मनाने वाला..

तू भी तो आईने की तरह बेवफ़ा निकला,
जो सामने आया उसी का हो गया..




तुम्हारी दुनिया में हम जैसे हजारों हैं,
हम ही पागल थे जो तुम्हे पा के इतराने लगे..

कसूर नहीं इसमें कुछ भी उनका,
हमारी चाहत ही इतनी थी की उन्हें गुरूर आ गया..

वो रोज़ देखता है डूबे हुए सूरज को,
काश मैं भी किसी शाम का मंज़र होता...

वो शख्स जो कहता था तू न मिला तो मर जाऊंगा,
वो आज भी जिंदा है यही बात किसी और से कहने के लिए..

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