Sindoor- स्त्री की सिंदूर की एक कहानी - The Spirit of Ghazals - लफ़्ज़ों का खेल | Urdu & Hindi Poetry, Shayari of Famous Poets
Sindoor- स्त्री की सिंदूर की एक कहानी

Sindoor- स्त्री की सिंदूर की एक कहानी

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Sindoor- स्त्री की सिंदूर की एक कहानी

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Sindoor- स्त्री की सिंदूर की एक कहानी  कहानी एक बार जरुर पढ़े….! (अच्छी लगे तो शेयर करें)
किसी ढलती शाम को
सूरज की एक किरण खींच कर
मांग में रख देने भर से
पुरुष पा जाता है स्त्री पर सम्पूर्ण अधिकार|
पसीने के साथ बह आता है सिंदूरी रंग स्त्री की आँखों तक
और तुम्हें लगता है वो दृष्टिहीन हो गयी|
मांग का टीका गर्व से धारण कर
वो ढँक लेती है अपने माथे की लकीरें
हरी लाल चूड़ियों से कलाई को भरने वाली स्त्रियाँ
इन्हें हथकड़ी नहीं समझतीं,
बल्कि इसकी खनक के आगे
अनसुना कर देती हैं अपने भीतर की हर आवाज़ को....
वे उतार नहीं फेंकती
तलुओं पर चुभते बिछुए,
भागते पैरों पर
पहन लेती हैं घुंघरु वाली मोटी पायलें
वो नहीं देती किसी को अधिकार
इन्हें बेड़ियाँ कहने का|

यूँ ही करती हैं ये स्त्रियाँ
अपने समर्पण का, अपने प्रेम का, अपने जूनून का
उन्मुक्त प्रदर्शन!!

प्रेम की कोई तय परिभाषा नहीं होती|

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