जन्मदिन विशेष राहत इंदौरी:जानिये राहत इंदौरी के बारे में
उस्ताद शायर Dr. Rahat Indori साहब को जन्मदिन की बधाई और ज़िंदादिली को सलाम
Birthday Special Dr. Rahat Indori : Know About Dr. Rahat Indori
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राहत इंदौरी
उर्दू के मकबूल शायर जनाब राहत इंदौरी का जन्मदिन भी 1 जनवरी है। सन 1950 की पहली जनवरी को पैदा हुए राहत इंदौरी अपने शेरों में आसान लफ्जों का इस्तेमाल कर गूढ़-से-गूढ़ बातें कह देने के लिए जाने जाते हैं। ‘सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी में, किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़ी है’ जैसे कई लोकप्रिय और जोरदार शेर रचने वाले राहत इंदौरी ने बॉलीवुड फिल्मों में गीत भी लिखे हैं।
मौजूदा वक्त में अगर किसी ऐसे शायर की बात की जाए जो एक आम हिंदुस्तानी को गहरी से गहरी बात भी बेहद आसान लफ्जों में समझाने का दम रखते हैं तो राहत इंदौरी का नाम जरूर याद आएगा. आज राहत इंदौरी का 68वां जन्मदिन है. वह प्रसिद्ध उर्दू शायर और हिन्दी फिल्मों के गीतकार हैं.
बेहद दिलचस्प है शायर बनने की कहानी
एक कपड़ा मिल के मजदूर के घर में जन्मे राहत के शायर बनने की कहानी बेहद दिलचस्प है. राहत अपने स्कूली दिनों में सड़कों पर साइन बोर्ड लिखने का काम करते थे. उनकी सुंदर लिखावट किसी का भी दिल जीत लेती थी लेकिन तकदीर ने तो उनका शायर बनना मुकर्रर किया हुआ था. एक मुशायरे के दौरान उनकी मुलाकात मशहूर शायर जां निसार अख्तर से हुई. बताया जाता है कि ऑटोग्राफ लेते वक्त उन्होंने अपने शायर बनने की तमन्ना जाहिर की. अख्तर साहब ने कहा कि पहले 5 हजार शेर जुबानी याद कर लें फिर अपनी शायरी खुद ब खुद लिखने लगोगे. राहत ने तपाक से जबाव दिया कि 5 हजार शेर तो मुझे याद है. अख्तर साहब ने जवाब दिया- तो फिर देर किस बात की है.
जानें राहत इंदौरी के बारे में कुछ दिलचस्प बातें..
राहत इंदौरी का जन्म मध्य प्रदेश राज्य के प्रसिद्ध नगर इंदौर में 1 जनवरी, 1950 में कपड़ा मिल के मजदूर के घर हुआ. उनके शायर बनने की कहानी बेहद ही दिलचस्प है. राहत अपने स्कूली दिनों में सड़कों पर साइन बोर्ड लिखने का काम करते थे. उनकी सुंदर लिखावट किसी का भी दिल जीत लेती थी लेकिन तकदीर ने तो उनका शायर बनना मुकर्रर किया हुआ था.
गजल को हर जुबां तक पहुंचाने वाले दुष्यंत कुमार को सलाम
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक मुशायरे के दौरान उनकी मुलाकात मशहूर शायर जां निसार अख्तर से हुई. बताया जाता है कि ऑटोग्राफ लेते वक्त उन्होंने अपने शायर बनने की तमन्ना जाहिर की. अख्तर साहब ने कहा कि पहले 5 हजार शेर जुबानी याद कर लें फिर अपनी शायरी खुद ब खुद लिखने लगोगे. राहत ने तपाक से जबाव दिया कि 5 हजार शेर तो मुझे याद है. अख्तर साहब ने जवाब दिया- तो फिर देर किस बात की है.
उनकी शुरुआती पढ़ाई नूतन स्कूल इंदौर में हुई. उन्होंने Islamia Karimia College, इंदौर से 1973 में अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की और 1975 में Barkatullah University, भोपाल से उर्दू साहित्य में एम.ए. किया. जिसके बाद सास 1985 में Madhya Pradesh Bhoj Open University से उर्दू साहित्य में पीएचडी की डिग्री ली.
मेजर शैतान सिंह जिनके नाम से चीनी सेना आज भी डरती है...
जीवन के हर पहलू पर शायरी...
राहत साहब की शायरी में जीवन के हर पहलू पर उनकी कलम का जादू देखने को मिलता है. बात चाहे दोस्ती की हो या प्रेम की या फिर रिश्तों की, राहत साहब की कलम जमकर चलती है. उनके तेवर जितने कड़े, भाषा उतनी ही आसान, बात जितनी गंभीर क्यों ना हो उसको बयां करने का अंदाज उतना ही खास होता है. ऐसा अंदाज जिसे कम समझ के लोग भी आसानी से समझ सकें. कुछ ऐसी ही काबिलियत के मालिक हैं राहत इंदौरी साहब.
ये हैं उनके प्रसिद्ध गीत
तुमसा कोई प्यारा कोई मासूम नहीं है.(फिल्म-खुद्दार)
रात क्या मांगे एक सितारा. (फिल्म-खुद्दार)
चोरी-चोरी जब नज़रें मिलीं (फिल्म- करीब)
नींद चुराई मेरी (फिल्म- इश्क)
देखो-देखो जानम हम दिल (फिल्म- इश्क)
ये रिश्ता क्या कहलाता है (फिल्म- मीनाक्षी)
राहत इंदौरी का PAK जाने से इनकार, मुशायरे में शामिल होन का था न्योता
प्रसिद्ध गजल
"अगर खिलाफ हैं होने दो जान थोड़ी है
ये सब धुआं है कोई आसमान थोड़ी है"
"हमारे मुंह से जो निकले वही सदाकत है
हमारे मुंह में तुम्हारी जुबान थोड़ी है"
"लगेगी आग तो आएंगे घर कई जद में
यहां पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है"
"सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी में
किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़ी है"
आज राहत इंदौर 68 बरस के हो गए हैं. अपने वक्त के तमाम शायरों का तरह राहत साहब ने फिल्म इंडस्ट्री में भी अपनी कलम का जलवा बिखेरा है. वह कई मशहूर फिल्मों के नगमे लिख चुके हैं. लेकिन राहत साहब की पहचान तो उनका बेलाग अंदाज है जो मुशायरों में खुलकर सामने आता है.
मौजूदा वक्त में अगर किसी ऐसे शायर की बात की जाए जो एक आम हिंदुस्तानी को गहरी से गहरी बात भी बेहद आसान लफ्जों में समझाने का दम रखते हैं तो राहत इंदौरी का नाम जरूर याद आएगा. आज राहत इंदौरी का 68वां जन्मदिन है. वह प्रसिद्ध उर्दू शायर और हिन्दी फिल्मों के गीतकार हैं.
ये भी पढ़े:- About Rahat Indori
बेहद दिलचस्प है शायर बनने की कहानी
एक कपड़ा मिल के मजदूर के घर में जन्मे राहत के शायर बनने की कहानी बेहद दिलचस्प है. राहत अपने स्कूली दिनों में सड़कों पर साइन बोर्ड लिखने का काम करते थे. उनकी सुंदर लिखावट किसी का भी दिल जीत लेती थी लेकिन तकदीर ने तो उनका शायर बनना मुकर्रर किया हुआ था. एक मुशायरे के दौरान उनकी मुलाकात मशहूर शायर जां निसार अख्तर से हुई. बताया जाता है कि ऑटोग्राफ लेते वक्त उन्होंने अपने शायर बनने की तमन्ना जाहिर की. अख्तर साहब ने कहा कि पहले 5 हजार शेर जुबानी याद कर लें फिर अपनी शायरी खुद ब खुद लिखने लगोगे. राहत ने तपाक से जबाव दिया कि 5 हजार शेर तो मुझे याद है. अख्तर साहब ने जवाब दिया- तो फिर देर किस बात की है.
फकीर, शाह, कलंदर, इमाम क्या-क्या है, तुझे पता नहीं तेरा गुलाम क्या-क्या है
जानें राहत इंदौरी के बारे में कुछ दिलचस्प बातें..
राहत इंदौरी का जन्म मध्य प्रदेश राज्य के प्रसिद्ध नगर इंदौर में 1 जनवरी, 1950 में कपड़ा मिल के मजदूर के घर हुआ. उनके शायर बनने की कहानी बेहद ही दिलचस्प है. राहत अपने स्कूली दिनों में सड़कों पर साइन बोर्ड लिखने का काम करते थे. उनकी सुंदर लिखावट किसी का भी दिल जीत लेती थी लेकिन तकदीर ने तो उनका शायर बनना मुकर्रर किया हुआ था.
गजल को हर जुबां तक पहुंचाने वाले दुष्यंत कुमार को सलाम
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक मुशायरे के दौरान उनकी मुलाकात मशहूर शायर जां निसार अख्तर से हुई. बताया जाता है कि ऑटोग्राफ लेते वक्त उन्होंने अपने शायर बनने की तमन्ना जाहिर की. अख्तर साहब ने कहा कि पहले 5 हजार शेर जुबानी याद कर लें फिर अपनी शायरी खुद ब खुद लिखने लगोगे. राहत ने तपाक से जबाव दिया कि 5 हजार शेर तो मुझे याद है. अख्तर साहब ने जवाब दिया- तो फिर देर किस बात की है.
उनकी शुरुआती पढ़ाई नूतन स्कूल इंदौर में हुई. उन्होंने Islamia Karimia College, इंदौर से 1973 में अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की और 1975 में Barkatullah University, भोपाल से उर्दू साहित्य में एम.ए. किया. जिसके बाद सास 1985 में Madhya Pradesh Bhoj Open University से उर्दू साहित्य में पीएचडी की डिग्री ली.
मेजर शैतान सिंह जिनके नाम से चीनी सेना आज भी डरती है...
जीवन के हर पहलू पर शायरी...
राहत साहब की शायरी में जीवन के हर पहलू पर उनकी कलम का जादू देखने को मिलता है. बात चाहे दोस्ती की हो या प्रेम की या फिर रिश्तों की, राहत साहब की कलम जमकर चलती है. उनके तेवर जितने कड़े, भाषा उतनी ही आसान, बात जितनी गंभीर क्यों ना हो उसको बयां करने का अंदाज उतना ही खास होता है. ऐसा अंदाज जिसे कम समझ के लोग भी आसानी से समझ सकें. कुछ ऐसी ही काबिलियत के मालिक हैं राहत इंदौरी साहब.
ये हैं उनके प्रसिद्ध गीत
तुमसा कोई प्यारा कोई मासूम नहीं है.(फिल्म-खुद्दार)
रात क्या मांगे एक सितारा. (फिल्म-खुद्दार)
चोरी-चोरी जब नज़रें मिलीं (फिल्म- करीब)
नींद चुराई मेरी (फिल्म- इश्क)
ये रिश्ता क्या कहलाता है (फिल्म- मीनाक्षी)
राहत इंदौरी का PAK जाने से इनकार, मुशायरे में शामिल होन का था न्योता
प्रसिद्ध गजल
"अगर खिलाफ हैं होने दो जान थोड़ी है
ये सब धुआं है कोई आसमान थोड़ी है"
"हमारे मुंह से जो निकले वही सदाकत है
हमारे मुंह में तुम्हारी जुबान थोड़ी है"
"लगेगी आग तो आएंगे घर कई जद में
यहां पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है"
"सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी में
किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़ी है"
आज राहत इंदौर 68 बरस के हो गए हैं. अपने वक्त के तमाम शायरों का तरह राहत साहब ने फिल्म इंडस्ट्री में भी अपनी कलम का जलवा बिखेरा है. वह कई मशहूर फिल्मों के नगमे लिख चुके हैं. लेकिन राहत साहब की पहचान तो उनका बेलाग अंदाज है जो मुशायरों में खुलकर सामने आता है.
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