बड़ी कश्मकश में है जिंदगी.....
किसी को किसी का सहारा नहीं मिलता !
किसी को किसी का सहारा नहीं मिलता !
तो किसी को दो वक्त का निवाला नहीं मिलता !!
इँसानों की इँसानियत भरी पड़ी है सिर्फ किताबी पन्नों पर......
हकीकत में तो अब इँसानों का इँसानियत से कोसों का किनारा है !
बिगड़ गया है वह इँसान जिसे अपने हाथों से उस खुदा ने सँवारा है !!
क्या जबाब होगा हमारा उसके सबालों के सामने !
जब वो खुदा होगा हमारे बिल्कुल सामने !!
हमारे अहसान फरामोश की गुस्ताखियाँ खत्म हो जाऐंगी एक दिन !
खुदा की महफिल में क्या हर्ष होगा इँसानों की जिंदगी का एक दिन !!
.... कुमार शशि.....
#_तन्हा_दिल...✍Meri Qalam Mere Jazbaat♡
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