उसे बना कर ग़ज़ल मै सुबह ओ शाम लिखता रहा ....✍Meri Qalam Mere Jazbaat♡ - The Spirit of Ghazals - लफ़्ज़ों का खेल | Urdu & Hindi Poetry, Shayari of Famous Poets
उसे बना कर ग़ज़ल मै सुबह ओ शाम लिखता रहा ....✍Meri Qalam Mere Jazbaat♡

उसे बना कर ग़ज़ल मै सुबह ओ शाम लिखता रहा ....✍Meri Qalam Mere Jazbaat♡

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उसे बना कर ग़ज़ल मै सुबह ओ शाम लिखता रहा
हकीकत की हर घरी मैं उसे सलाम लिखता रहा 
वो मेरी मुहबत को मेरा जनून समाज बेठी 
में नाम इ मुहबत को बार बार लिखता रहा 
कर लो इकरार -इ -दिलगी मुज से ये कहा उस से मेने 
अजब शख्स थी मुझे ही बेवफा लिखती रही 
उसकी आरजू ये थे के "भूल जाओ मुझे "
में हर दिवार पर इश्क की इन्तहा लिखता रहा 
ज़ुल्म सहना हे तो इश्क की मिराज है -तनहा -
व  बदनाम करती रही में नादान लिखता रहा ....
..... कुमार शशि.....
#_तन्हा_दिल...✍Meri Qalam Mere Jazbaat♡

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