आज सड़कों पर लिखे हैं सैकड़ों नारे न देख .पर अँधेरा देख तू आकाश के तारे न देख...... - The Spirit of Ghazals - लफ़्ज़ों का खेल | Urdu & Hindi Poetry, Shayari of Famous Poets
आज सड़कों पर लिखे हैं सैकड़ों नारे न देख .पर अँधेरा देख तू आकाश के तारे न देख......

आज सड़कों पर लिखे हैं सैकड़ों नारे न देख .पर अँधेरा देख तू आकाश के तारे न देख......

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आज सड़कों पर लिखे हैं सैकड़ों नारे न देख,
पर अँधेरा देख तू आकाश के तारे न देख।
एक दरिया है यहाँ पर दूर तक फैला हुआ,
आज अपने बाज़ुओं को देख पतवारें न देख।
अब यकीनन ठोस है धरती हकीकत की तरह,
यह हकीकत देख लेकिन खौफ के मारे न देख।
वे सहारे भी नहीं अब जंग लड़नी है तुझे,
कट चुके जो हाथ उन हाथों में तलवारें न देख।
ये धुंधलका है नजर का तू महज मायूस है,
रोजनों को देख दीवारों में दीवारें न देख।
राख कितनी राख है, चारों तरफ बिखरी हुई, 
राख में चिनगारियाँ ही देख अंगारे न देख।
..... कुमार शशि..... 
#dedicated ♡ 
#_तन्हा_दिल...✍Meri Qalam Mere Jazbaat♡

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