​♡ हवा बन के बिखरने से उसे क्या फर्क पड़ता है. मेरे जीने या मरने से उसे क्या फर्क पड़ता है ......✍♡ - The Spirit of Ghazals - लफ़्ज़ों का खेल | Urdu & Hindi Poetry, Shayari of Famous Poets
​♡ हवा बन के बिखरने से उसे क्या फर्क पड़ता है. मेरे जीने या मरने से उसे क्या फर्क पड़ता है ......✍♡

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​हवा बन के बिखरने से उसे क्या फर्क पड़ता है
मेरे जीने या मरने से उसे क्या फर्क पड़ता है 
उसे तो अपनी खुशियों से जरा फुर्सत नही मिलती 
मेरे गम के उभरने से उसे क्या फर्क पड़ता है 
साजिद ,उस शख्स की याद में तुम रोते रहो लेकिन 
तुम्हारे ऐसा करने से उसे क्या फर्क पड़ता है
..... कुमार शशि.....
✍Meri Qalam Mere Jazbaat ♡

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