पास वज़ीर हों चाहे जितने, प्यादों से कई बार किला मुहब्बत ने गिराया है..
तल्ख़ लहजा और ज़हर सी बातें,
बिन बात मेरा चर्चा शहर में मोहब्बत ने कराया है..
हुनर में मगरूर सितमगर कुछ और करने को नहीं राजी
हर बार वफ़ा का लुटना मुझे मुहब्बत ने दिखाया है..
सीढियां बेवफाई की वो शान से चढ़ता गया
हाथ हर बार फिर भी मेरी मुहब्बत ने बढ़ाया है।।
......✍Meri Qalam Mere Jazbaat ♡
- #Dedicated ♡.........♡
- #Dedicated ♡.........♡
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