ना गम - ए - दर्द का परवाह हमे ,
मै तड़पता हूँ अब खुदी के लिए !♡
इतनी हसरते है कर लिए पैदा ,
बस अपनी ही जिंदगी के लिए !♡
एक तू ही तो है मेरा बस हबीब ,
बन जा जिंदगी मौसिकी के लिए !♡
ऐसा मौसम है रिक्ज ए गंदूमी का ,
लब तरस ही गए तिश्रगी के लिए !♡
हूँ दहकां तो ये मेरा गुनाह नही ,
दे दो मुझे रिक्ज ए गंदूमी के लिए !
पुरखार ए जीस्त है मेरा तो हबीब ,
दिखा राह मुझे भी रोशनी के लिए !
उड़ गए घर के पंछी सभी अब तो ,
बन जा खुदा मुफलिसी के लिए !
ना देना मुझे फिर से गम तू हमदम ,
बन कुमार लज्जते जिंदगी के लिए !
••• कुमार शशि •••
मौसिकी - संगीत, तिश्रगी - प्यास, हबीब - प्रिय, मुफलिसी - दरिद्रता, रिक्ज - निवाला , गंदूमी - अनाज, लज्जते - आनंद
- #Dedicated ♡एक गजल तुम्हारे नाम ♡
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