The Spirit of Ghazals - लफ़्ज़ों का खेल | Urdu & Hindi Poetry, Shayari of Famous Poets: ​कच्चा-पक्का मकान था अपना . फिर भी कुछ तो निशान था अपना.....✍
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​कच्चा-पक्का मकान था अपना . फिर भी कुछ तो निशान था अपना.....✍

November 23, 2016 0
​कच्चा-पक्का मकान था अपना फिर भी कुछ तो निशान था अपना अपना तुमको समझ लिया हमने  तुम भी लेते समझ हमें अपना वो भी गैरों*-सी बात करन...
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