सारे सिपाही मोम के थे घुल के आ गए : राहत इंदौरी - The Spirit of Ghazals - लफ़्ज़ों का खेल | Urdu & Hindi Poetry, Shayari of Famous Poets
सारे सिपाही मोम के थे घुल के आ गए : राहत इंदौरी

सारे सिपाही मोम के थे घुल के आ गए : राहत इंदौरी

Share This

Poetry by Dr.Rahat Indori. सूरज से जंग जीतने निकले थे बेवक़ूफ़

और नई शायरी पढ़ें अपनी हिन्दी एवं उर्दू भाषा में हमारे इस ब्लॉगर पर :-The spirit of ghazals-लफ़्ज़ों का खेल                                  



अंदर का ज़हर चूम लिया धुल के आ गए

कितने शरीफ़ लोग थे सब खुल के आ गए

सूरज से जंग जीतने निकले थे बेवक़ूफ़

सारे सिपाही मोम के थे घुल के आ गए

मस्जिद में दूर-दूर कोई दूसरा न था

हम आज अपने आप से मिल-जुल के आ गए


नींदों से जंग होती रहेगी तमाम उम्र

आँखों में बंद ख़्वाब अगर खुलके आ गए

सूरज ने अपनी शक्ल भी देखी थी पहली बार

आईने को मज़े भी तक़ाबुल के आ गए

अनजाने साए फिरने लगे हैं इधर उधर

मौसम हमारे शहर में काबुल के आ गए

------  राहत इंदौरी 

आपको यह शायरी संग्रह कैसा लगा हमें अवश्य बताएं, और जितना हो सके शेयर करे ताकि हमें प्रोत्साहन मिले ऐसी रचनाए लिखने का। आप अपने दोस्तों को भी शेयर करे सोशल मिडिया के माध्यम से नीचे दिए गए आइकॉन पर क्लिक करे धन्यवाद।

No comments:

Post a Comment

Pages