Do Kadam Aur Sahi (Hindi Edition) दो कदम और सही : नुमाइंदा शायरी-राहत इन्दौरी
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'दो कदम और सही : नुमाइंदा शायरी’
संकलन एवं संपादन : सचिन चौधरी
प्रकाशक : मंजुल प्रकाशन
पृष्ठ : 253
राहत साहब की उम्दा शायरी को देखें :
‘सबके दुख-सुख उसके चेहरे पर लिखे पाए गए
आदमी क्या था हमारे शहर का अखबार था।‘
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‘बहुत कांटों भरी दुनिया है लेकिन
गले का हार होती जा रही है।‘
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‘मैं उस मुहल्ले में एक उम्र काट आया हूं
जहाँ पर घर नहीं मकान मिलते हैं।‘
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‘ख़ुद को पत्थर सा बना रखा है कुछ लोगों ने
बोल सकते हैं मगर बात ही कब करते हैं।‘
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रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता है
चाँद पागल है, अँधेरे में निकल पड़ता है
उसकी याद आई है साँसों ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनो से भी इबादत में खलल पड़ता है
चाँद पागल है, अँधेरे में निकल पड़ता है
उसकी याद आई है साँसों ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनो से भी इबादत में खलल पड़ता है
'दो कदम और सही : नुमाइंदा शायरी’
संकलन एवं संपादन : सचिन चौधरी
प्रकाशक : मंजुल प्रकाशन
पृष्ठ : 253
राहत इंदौरी ने उर्दू शायरी को अवाम में मक़बूल बनाया है, वो अदब के रुख-ओ-रफ़्तार से वाक़िफ़ हैं. - अली सरदार जाफ़री
राहत इंदौरी के पास लफ़्ज़ों से तस्वीरकशी कर देने का अनोखा हुनर हैं, में उसके इस हुनर का फैन हूँ. - एम. एफ. हुसैन
रा से राम है, रा से राहत है, राम वही है जो राहत दे, जो आहात करता है वो रावण होता है. राहत साहब की शायरी में राहत है, में उनके अंदाज़ को सलाम करता हूँ. - मुरारी बापू
डॉ. राहत इंदौरी के कलाम बरजस्तगी, मआनी आफ़रीनी और दौर-ए-हाज़िर का अक्स है. उनका वजूद उर्दू शेर-ओ-सुखन और उर्दू ज़बान के लिए बड़ा क़ीमती तोह्फ़ा है. - दिलीप कुमार
राहत इंदौरी के पास अपने युग की साडी कड़वाहटों और दुखों को खुलकर बयां कर देने की बेपनाह ताक़त है, वो बेजान शब्दों को भी छूते हैं तो उनमें धड़कन पैदा हो जाती है. - प्रो. अज़ीज़ इंदौरी
राहत ने जीवन और जगत के विभिन्न पहलुओं पर जो ग़ज़लें कही हैं, वो हिन्दी-उर्दू की शायरी के लिए एक नया दरवाज़ा खोलती है. नए रदीफ़, नै बहार, नए मजमून, नया शिल्प उनकी ग़ज़लों में जादू की तरह बिखरा है जो पढ़ने व् सुनने वाले सभी के दिलों पर च जाता है. - गोपालदास नीरज.
'दो कदम और सही : नुमाइंदा शायरी’
संकलन एवं संपादन : सचिन चौधरी
प्रकाशक : मंजुल प्रकाशन
पृष्ठ : 253
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