********* ग़ज़ल *********
आज यारों में देखो रजा हो गई
दुश्मनी वो पुरानी हवा हो गई
नोच कर लेगया ऐक वहशी उसे
इक कली शाख से अब जुदा हो गई
हो गया इश्क जब होश गुम हो गए
हर तरफ तू ही तू बा वफा हो गई
आज जीने क मकसद ख़तम होगया
मौत ही बस मेरी अब दवा हो गई
कर्म ऐसे रहे जिंदगी में तेरे
अब दुआ भी मेरी बद्दुआ हो गई
जलजला ऐक ऐसा उठा है यहाँ
पल में शौरत भी देखो हवा हो गई
रूठ कर वो गई खूबसूरत कली
जिंदगी यार हमसे खफा हो गई
रात है शबनमी खिल रही है कली
जिंदगी ये मेरी क्या से क्या हो गई
जान कर हमने जुल्मो सितम सह लिए
बस यही ऐक हमसे खता हो गई
~~~~~कुमार शशि..✍.~~~~~
- #Dedicated ♡
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