Two Line Shayari by Ahmad Faraz Part – 1 (अहमद फ़राज़ की शायरी पार्ट – 1)
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अहमद फ़राज़ द्वारा लिखी दिल को छू लेने वाली शायरी
आईये दोस्तों आज इस आर्टिकल के माध्यम से पढ़ते हैं अहमद फ़राज़ द्वारा लिखी शायरी जो दिल को छू लेती हैं. जिसे आप अपने दोस्तों को भी शेयर करे सोशल मिडिया के माध्यम से
Two Line Shayari by Ahmad Faraz Part – 1
वो बात बात पे देता है परिंदों की मिसालसाफ़ साफ़ नहीं कहता मेरा शहर ही छोड़ दो
तुम्हारी एक निगाह से कतल होते हैं लोग फ़राज़
एक नज़र हम को भी देख लो के तुम बिन ज़िन्दगी अच्छी नहीं लगती
अब उसे रोज़ न सोचूँ तो बदन टूटता है फ़राज़
उमर गुजरी है उस की याद का नशा किये हुए
एक नफरत ही नहीं दुनिया में दर्द का सबब फ़राज़
मोहब्बत भी सकूँ वालों को बड़ी तकलीफ़ देती है
हम अपनी रूह तेरे जिस्म में छोड़ आए फ़राज़
तुझे गले से लगाना तो एक बहाना था
माना कि तुम गुफ़्तगू के फन में माहिर हो फ़राज़
वफ़ा के लफ्ज़ पे अटको तो हमें याद कर लेना
ज़माने के सवालों को मैं हँस के टाल दूँ फ़राज़
लेकिन नमी आखों की कहती है “मुझे तुम याद आते हो”
अपने ही होते हैं जो दिल पे वार करते हैं फ़राज़
वरना गैरों को क्या ख़बर की दिल की जगह कौन सी है
तोड़ दिया तस्बी* को इस ख्याल से फ़राज़
क्या गिन गिन के नाम लेना उसका जो बेहिसाब देता है
* तस्बी = माला
हम से बिछड़ के उस का तकब्बुर* बिखर गया फ़राज़
हर एक से मिल रहा है बड़ी आजज़ी* के साथ
* तकब्बुर – घमंड
* आज़ज़ी – विनर्मता
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