Munawwar Rana – Badshahon Ko Sikhaya Hai Qalandar Hona in Hindi - The Spirit of Ghazals - लफ़्ज़ों का खेल | Urdu & Hindi Poetry, Shayari of Famous Poets
Munawwar Rana – Badshahon Ko Sikhaya Hai Qalandar Hona in Hindi

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Munawwar Rana – Badshahon Ko Sikhaya Hai Qalandar Hona | मुनव्वर राना – बादशाहों को सिखाया है क़लंदर होना

Munawwar Rana – Badshahon Ko Sikhaya Hai Qalandar Hona | मुनव्वर राना – बादशाहों को सिखाया है क़लंदर होना


बादशाहों को सिखाया है क़लंदर* होना
आप आसान समझते हैं मुनव्वर होना
एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है
तुम ने देखा नहीं आँखों का समुंदर होना
सिर्फ़ बच्चों की मोहब्बत ने क़दम रोक लिए
वर्ना आसान था मेरे लिए बे-घर होना
हम को मा’लूम है शोहरत की बुलंदी हम ने
क़ब्र की मिट्टी का देखा है बराबर होना
इस को क़िस्मत की ख़राबी ही कहा जाएगा
आप का शहर में आना मिरा बाहर होना
सोचता हूँ तो कहानी की तरह लगता है
रास्ते से मिरा तकना तिरा छत पर होना
मुझ को क़िस्मत ही पहुँचने नहीं देती वर्ना
एक ए’ज़ाज़* है उस दर का गदागर* होना
सिर्फ़ तारीख़ बताने के लिए ज़िंदा हूँ
अब मिरा घर में भी होना है कैलेंडर होना
क़लंदर – मुस्लिम संत
एज़ाज़ – सम्मान
गदागर – भिखारी

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