nacha rakkha hai paise ne (नचा रक्खा है पैसे ने ) - The Spirit of Ghazals - लफ़्ज़ों का खेल | Urdu & Hindi Poetry, Shayari of Famous Poets
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nacha rakkha hai paise ne (नचा रक्खा है पैसे ने )

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 Nacha rakkha hai paise ne, kisee ko gam nahin hai ab (नचा रक्खा है पैसे ने, किसी को ग़म नहीं है अब )

दोस्तो पेश है ये ग़ज़ल आपकी नज़र मेरे ग़ज़ल संग्रह

नचा रक्खा है पैसे ने, किसी को ग़म नहीं है अब
कोई भी हादसा हो, क़त्ल हो, या घर उजड़ता हो
मिले परिवार को पैसा, कोई मातम नहीं है अब
सब अफ़लातून हैं, कमज़ोर और बलवान दोनों ही
जहां में कौन है जिसके जिगर में दम नहीं है अब
सभी को इल्म है इसका, खुदा की मेहर है हम पर

हमारा सर किसी के सामने भी ख़म नहीं है अब
समय की मार ने मेरे भी बाज़ू कर दिए ढीले
तेरी ज़ुल्फ़ों में भी पहले के जैसा ख़म नहीं है अब
तुझे 'कुमार' पिछली सारी बातें भूलनी होगी
तेरे पहलु में आ बैठा है वो, बरहम नहीं है अब
#K♡S.....
#_तन्हा_दिल...✍Meri Qalam Mere Jazbaat♡
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