मेरे हिसाब से , कुछ ऐसा भी होना चाहिए ,
सहन से हो दर्द बाहर , थोड़ा रोना चाहिए !
सहन से हो दर्द बाहर , थोड़ा रोना चाहिए !
क्यों जागकर रातों में गिनवाते कमजोरीयाँ ,
थक से गए है हम अब , हमे सोना चाहिए !
दौड़ लगवाया है अब खुदा ने, हमारे बीच ,
पुरस्कार जीत का हमे, अब छोड़ना चाहिए !
त्यागा था खुदा, ख़ुशी के लिए फर्ज अपना ,
मेरा फर्जो से भरा मुझे वो जमाना चाहिए !
खुश नही था मजमून तेरे आलिशां कस्र में ,
भटका हूँ बहुत मेरा झोपडी पुराना चाहिए !
है जुस्तजू ए कलीसा ना मिला हमको ,
पुनः मुझमे दुःख -ए- उफ़ुक़ आना चाहिए !
ना टला दर्द ए जीस्त तो हुआ मन मेरा भी ,
'कुमार' को फिर नया एक जमाना चाहिए !
'कुमार' को फिर नया एक जमाना चाहिए !
..... कुमार शशि®™.....
#_तन्हा_दिल...✍Meri Qalam Mere Jazbaat♡
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