अब कर्ब के तूफ़ाँ से गुज़रना ही पड़ेगा...✍ - The Spirit of Ghazals - लफ़्ज़ों का खेल | Urdu & Hindi Poetry, Shayari of Famous Poets
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अब कर्ब के तूफ़ाँ से गुज़रना ही पड़ेगा...✍

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अब कर्ब के तूफ़ाँ से गुज़रना ही पड़ेगा
सूरज को समुंदर में उतरना ही पड़ेगा
फ़ितरत के तक़ाज़े कभी बदले नहीं जाते
ख़ुश्बू है अगर वो तो बिखरना ही पड़ेगा
पड़ती है तो पड़ जाए शिकन उस की जबीं पर
सच्चाई का इज़हार तो करना ही पड़ेगा
हर शख़्स को आएँगे नज़र रंग सहर के
ख़ुर्शीद की किरनों को बिखरना ही पड़ेगा
मैं सोच रहा हूँ ये सर-ए-शहर-ए-निगाराँ
ये उस की गली है तो ठहरना ही पड़ेगा
अब शाना-ए-तदबीर है हाथों में हमारे
हालात की ज़ुल्फ़ों को सँवरना ही पड़ेगा
इक उम्र से बे-नूर है ये महफ़िल-ए-हस्ती
'एजाज़' कोई रंग तो भरना ही पड़ेगा

#एजाज़ रहमानी...✍

 

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