इक ग़ज़ल तुम्हारे नाम---!!!!
खुद को मरते हर पल देखा।
सपना आँखों में था उसका,
रोते जिसको पल पल देखा।
दिल की था जो धड़कन मेरे,
चाहत में वो घायल देखा।
लंबी काली रातों जैसा,
उसका फैला काजल देखा।
रुख पर जिसके परदा रहता,
ढलता उसका आँचल देखा।
यादों में जो दिनभर रहता,
ख़्वाबों से क्यों ओझल देखा।
दीवाना मुझको कहता था,
उल्फत में वो कायल देखा।
सब के दिल को जो था भाता,
मन उसका भी चंचल देखा।
जन्न्त जिसकी बाहों में थी,
ऐसा 'कुमार शशि' मक़्तल देखा।
- #Dedicated ♡ My Love ♡
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