एक गजल
मन की मोहन हो गई हो ,
दिल की धड़कन हो गई हो !
बदन महकने लगा मेरा अब ,
लगता है चन्दन हो गई हो !
दिल हो गया बेबस अब तो ,
कुछ तो दुश्मन हो गई हो !
क्यों बस रहे दिल में अरमां ,
घर की आंगन हो गई हो !
ना छुपाओ कुछ मुझसे अब ,
आंखो से सावन हो गई हो !
रोकर निखरी हो जैसे की ,
दिल से पावन हो गई हो !
चलने का हौसला मिले मुझे ,
कुमार की बन्धन हो गई हो !
••• कुमार शशि•••
- #Dedicated ♡ My Love ♡
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