वो क्या अजब पागलपन किया करते थे,
अब लगता है हम कभी सच में मोहब्बत किया करते थे..
सफर बन जाता था एक छोटा सा रास्ता,
अब लगता है हम कभी सच में मिला करते थे..
खुश्बुएं बहार की तेरे गेसुओं में छुपी रहती थीं,
अब लगता है हम लफ्ज़-ऐ-गुलाब इश्क़ को सही लिखा करते थे..
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